Thursday 7 February 2013

गम (शायरी )


बेहेकने का गम उन हवाओँ से पुछो 
बिछडने का गम उन किनारोँ से पुछो 
रोशन जो करे अंधेरा एक पल के लीये 
जलने का गम उन चिरागोँसे पुछो 

उलझने का गम उन सवालोँसे पुछो 
झगडने का गम उन बहारोँसे पुछो 
सजाये जो सपने एक पल के लीये 
दुवाओँ का गम उन निगाहोँसे पुछो 

बरसने का गम उन घटाओँ से पुछो 
छलकने का गम उन कतारोँ से पुछो 
आरजु करे जो पुरी एक पल के लीये 
तुटने का गम उन सितारोँ से पुछो 

मोहोब्बत का गम उन दिवानों से पुछो 
तडपने का गम उन दिलोँ से पुछो 
करे जो नशा एक पल के लीये 
शबाबोँ का गम उन शराबोँ से पुछो 

मेहेकने का गम उन गुलाबोँ से पुछो 
बितने का गम उन जमानोँ से पुछो 
फना जो हो जाये इस देश के लीये 
गवाने का गम उन जवानोँ से पुछो 

कविकुमार - 
(४।२।१३)


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